Author : Dev Niranjan
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 52Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 100
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देवास (म.प्र.) निवासी प्रबुद्ध रचनाकार श्री देव निरंजन द्वारा रचित यह काव्य पुस्तक रचनाकार की दूसरी पुस्तक है ...बहुत ही संवेदनशील कवि हैं भाई देव निरंजन ...इस पुस्तक की छोटी छोटी रचनाओं में बहुत कुछ निहित है ..बहुत कुछ छुपा है ..कवि ह्रदय की गंभीरता छुपी है संवेदना छुपी है ..मन के भाव छुपे हैं ..इससे पूर्व कवि की प्रथम पुस्तक "प्रतिज्ञा" सन 2013 में उत्कर्ष प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुई थी ......पुस्तक का सार देखिये ....................... जैसा कि नाम से ही जाहिर है ‘जीवन संग्राम’ यानी जीवन एक युद्ध है। यानी इस पुस्तक में जीवन संघर्ष यानी जीवन जीने से सम्बन्धित मन के उद्गारों को काव्य रूप में ढालकर प्रस्तुत किया गया है। निःसन्देह इस काव्य कृति में संवेदनशील कलमकार देव निरंजन ने अपना और समाज का लेखा-जोखा पिरोया है जो प्रेरणा भी देगा और सोच बदलने में भी कामयाब होगा, ऐसा हमें लग रहा है। इस पुस्तक की रचनाएं आमजन को उत्प्रेरित कर देने वाली हैं... हृदय परिवर्तन कर देने वाली हैं... सोच बदल देने वाली हैं...सकारात्मक ऊर्जा भर देने वाली हैं...जीवन जीने का सलीका समझाने वाली हैं। एकदम सराहनीय प्रयास है कवि का...। वास्तव में जैसा कि कवि कहता है जीवन एक संघर्ष है यह उक्ति सच्चाई से लबालब है, जीवन की हर पगडंडी पर संघर्ष करना पड़ता है...कदम-कदम पर जैसे युद्ध करना पड़ता है स्वयं से... बात चाहे प्रेम की हो या त्याग की, प्रेरणा की हो या समर्पण की, सफलता की हो या कीर्तिमान हासिल करने की, कोई फर्क नहीं पड़ता। हर मानव को यहां पर संघर्ष करना पड़ता है किसी को ज्यादा तो किसी को थोड़ा कम, पर करना अवश्य पड़ता है और जो इस जीवन संग्राम में विजयी होता है वही इंसान सफल हो पाता है। सही मायने में वही इंसान विजयी होता है जिसने अपने आप पर नियंत्रण कर लिया... स्वयं को जीत लिया, वही साहसी कहलाता है। कवि ने अपनी रचनाओं में इंगित भी किया है कि मनुष्य को कभी हौसला नहीं छोड़ना चाहिए...कोई भी प्रयास अंतिम नहीं होता और प्रयास कभी न कभी सार्थक अवश्य होते हैं। कहना ही होगा कि यह पुस्तक चाहे कम पन्नों की है किन्तु बहुत ही सार्थकता प्रदान करने वाली है जिसके लिए भाई देव निरंजन का प्रयास प्रशंसनीय है...निश्चय की इस पुस्तक की रचनाओं ने गागर में सागर भरा है, कम शब्दों में बड़ी-बड़ी बातें कही हैं जो उत्तम कोटि की हैं। आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक हिन्दी काव्याकाश में अपना स्थान निश्चित करेगी ।------हेमन्त शर्मा
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 978-93-91765-10-1 |
Number of Pages | 52 |
Publication Year | 2023 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-91765-10-1 |
Binding | Paperback |
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