Author : Aditya Surendranath Tikku
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 200
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जयपुर के मूल निवासी.. मुंबई में कार्यरत.. पत्रकारिता में निपुण कई दशकों से सक्रिय विद्वान लेखक एवं पत्रकार श्री आदित्य तिक्कू ने विगत कई वर्षो में पत्रकारिता में जैसा अनुभव किया राजनीति में जो जो महसूस किया उसे आलेख बनाकर समाज के समक्ष प्रस्तुत करते हुए समाज को सच्चाई से अवगत कराया जिसे हमने पुस्तक के शक्ल दी.... यानि यह पुस्तक है आदित्य तिक्कू जी का इक दृष्टिकोण..... प्रसिद्ध भजन गायक अनूप जलोटा के शब्दों में उनके विचार......................................... आदित्य तिक्कू, यह नाम दिमाग में आते ही एक ऐसे शख्स का विचार मस्तिष्क पर छा जाता है जो अपने कार्यों में अपने नाम जितना ही खरा है। पिछले काफी वर्षों से में से आदित्य को देख रहा हूँ और मुझे एक ओर जहां इसके चिंतन ने प्रभावित किया वहीं इसकी लेखनी ने मुझे कई बार चिंतित भी कर दिया। ऐसा इसलिए की जितनी बेबाकी से ये अपने आलेखों में सामाजिक, राजनीतिक, राष्ट्रीय मुद्दों पर लिखता है कि मैं यह सोचने लग जाता हूँ कि इतनी सच्ची बातें लोग पचा भी पाएंगे क्या। उम्र से युवा है पर कार्यशैली में एक बच्चे सी चपलता, स्फूर्ति है वहीं आदित्य की सोच और लेखनी में बुजुर्गों का सा अनुभव झलकता है। आज के समय में जहां खरा-खरा लिखने वाले कम और चंद पैसों के लिए अपनी लेखनी चलाने वाले हर ओर दिखाई देते हैं अनुज आदित्य ने सच्चाई की लेखनी चला कर साहित्यिक क्षेत्र में अपनी अलग छाप छोड़ी है। पिछले दिनों तथास्तु प्रोडक्शन के एक कार्यक्रम में हम दोनों साथ थे तब मैंने इसे सलाह दी कि अपने आलेखों को अब पुस्तक का रूप दो ताकि यह चिंतन का झोंका हर किसी को अपने भीतर झांकने के लिए झकझोर सके। पहली पुस्तक ‘अंतद्र्वन्द’ मैंने पढ़ी और उसमें कहानियों और काव्य रचनाओं में एक अलग ही आग नजर आई या कहूँ कि उन रचनाओं ने जीवन के देखने के नजरिए को बदल दिया। अब उत्कर्ष प्रकाशन के साथ यह ‘दृष्टिकोण’ आलेखों का संग्रह प्रकाशित होकर सबके हाथों में पहुंच रहा है। यह ‘दृष्टिकोण’ हर पाठक के दृष्टिकोण को निश्चित ही बदल कर रख देगी और यह सोचने पर मजबूर कर देगी कि आज एक भारतीय होने के नाते हम कितना अपना फर्ज निभा रहे हंै तथा अपनी जिम्मेदारियों के प्रति कितने जिम्मेदार हैं। कुछ आलेखों का मैं जिक्र करना चाहूंगा जैसे ‘प्रश्न कीजिए हक है आपका’ इसमें किसान वर्ग का जिस जमीनी स्तर पर चित्रण किया गया है वह हमें यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि आज अन्नदाता के लिए हमारी सरकारें केवल हवाई वायदे ही कर रही हैं, जबकि असल में उस ओर उन्हें कोई चिंता ही नहीं है। किसानों को देश की रीढ़ की हड्डी कह सकते हैं, अपनी श्रम की बूंदों से एक-एक अन्न का दाना उगाने वाले ये किसान सरकारी योजनाओं से किस प्रकार वांछित हैं यह इससे हम जान सकते हैं। एक आलेख में कुपोषण की बात उठाई है। कहने में शर्म महसूस होती है, किंतु आज एक विकासशील देश के नाम पर भारत विश्वभर में अपनी पहचान बना रहा है। इसके बावजूद बाल कुपोषण के आंकड़ों पर गौर करंे तो भारत अफ्रीकी देशों की श्रेणी में आ सकता है। आखिर यह क्यों ? देश की आर्थिक तरक्की जरूरी है तो साथ-साथ जमीनी स्तर पर भी हमें उतना ही गौर करना होगा। और भी ऐसे कई ज्वलंत मुद्दे हैं चाहे वो राजनीतिक चुनावों में धांधली की बात हो या संसदीय कार्यप्रणाली की। देश की शिक्षानीति से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की अहमियत की इसमें चर्चा की गई। आतंकवाद पर भी आदित्य ने निडरता से अपनी सोच को कलम से उकेरा है। इस पुस्तक का हर पृष्ठ, हर शब्द, प्रत्येक अक्षर अपने आप में पाठक को भीतर तक झकझोरने वाला है। मेरी शुभकामनाएं सदा से ही आदित्य के साथ हैं। मुझे हार्दिक प्रसन्नता होती है कि एक ऐसा खरा व्यक्ति, सच्चा व्यक्ति मेरा अपना है। यह विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि यह पुस्तक आज के वर्तमान परिपेक्ष्य में जन साधारण को एक नया चिंतन करने का मौका देगी और उन्हें उनके कर्तव्यों के प्रति, जिम्मेदारियों के प्रति जगाएगी। ...........अनूप जलौटा / प्रसिद्ध गायक एवं संगीतकार
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 978-93-91765-78-1 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2023 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-91765-78-1 |
Binding | Paperback |
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