Author : Aditya Surendranath Tikku
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 96Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 150
Selling Price
(Free delivery)
जयपुर के मूल निवासी.. मुंबई में कार्यरत.. पत्रकारिता में निपुण कई दशकों से सक्रिय विद्वान लेखक एवं पत्रकार श्री आदित्य तिक्कू ने विगत कई वर्षो में पत्रकारिता में जैसा अनुभव किया राजनीति में जो जो महसूस किया उसे आलेख बनाकर समाज के समक्ष प्रस्तुत करते हुए समाज को सच्चाई से अवगत कराया जिसे हमने पुस्तक के शक्ल दी.... यानि यह पुस्तक है आदित्य तिक्कू जी का इक दृष्टिकोण....इस पुस्तक में विद्वान लेखक श्री आदित्य सुरेन्द्रनाथ तिक्कू ने अगस्त 2020 से वर्ष 2021-22 की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया है और उस समय तत्कालीन राजनैतिक घटनाक्रमों से जनसमुदाय को चेताने का प्रयास करते हुए सत्यता पर अपनी लेखनी चलायी थी। अनेक घटनाओं से देश प्रभावित हुआ और समाज को हानि पहुंची। जिस पर लेखक ने प्रहार करते हुए अपने मन की बात अपने आलेखों में लिख कर पब्लिक को आगाह करने का प्रयत्न किया ये सभी आलेख विभिन्न समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित हुए। सभी आलेख उच्च कोटि के राजनैतिक और आर्थिक विश्लेषण हैं। जिनमें सच्चाई निहित है। निश्चय ही लेखक का प्रयास सराहनीय है। इस पुस्तक ‘दृष्टिकोण-3’ में लेखक की पैनी दृष्टि का सहज ही भास होता है। जिस ढंग से उन्होंने अपनी विषयपरक लेखनी चलायी है और जनता जर्नादन को आगाह किया है साथ ही भ्रष्टचारियों पर कुठाराघात किया है वह बहुत ही सार्थक और लाभ देने वाला है लोगों को सचेत कर देने वाला है। जिसकी हर दृष्टि से सराहना की जानी चाहिये। इस आलेख संग्रह ‘दृष्टिकोण-3’ में लेखक ने निष्पक्ष कलम चलायी है और समसामयिक ताजा घटनाक्रमों का मनन करते हुए जनता जर्नादन के समक्ष प्रस्तुत किया है जिनमें सहज ही सच्चाई उजागर होती प्रतीत हो रही है। निर्भीक पत्रकारिता करने वाले लोग आज देश में कम हैं, मगर हैं जरूर जिनके आधार पर देश चल रहा है समाज दिशा पा रहा है। उन्हीं सच्चे कलमकारों में श्री आदित्य सुरेन्द्रनाथ तिक्कू भी एक हैं। उनकी पैनी लेखनी भ्रष्टाचार के विरोध में चलती है निसहायों के सपोट में चलती है और आम आदमी के मर्म को छू जाती है उसकी चेतना जगा जाती है। कह सकते हैं कि लिखने का अभिप्राय तभी सफल होता है जब उसका प्रतिफल प्राप्त हो। इस पुस्तक पाण्डुलिपि का अध्ययन कर मैं इस बात से कतई इंकार नहीं कर सकता कि यह पुस्तक एक विद्वान लेखन द्वारा लिखी गयी है जिसमें सूझबूझ भी है और आत्मविश्वास भी, विद्वता भी है और अहसास भी। लोगों के दर्द की समझ भी है और राजनेताओं की चाटुकारिता को चुटकियों में समझ पाने वाला मस्तिष्क भी। अनेकानेक आलेखों में लेखक ने जिस प्रकार से आंकड़े प्रस्तुत किये हैं, अपनी बात सिद्ध की है, निःसन्देह बिना अध्ययन पाठन किये सम्भव नहीं। अतः हम कह सकते हैं...विश्वास कर सकते हैं कि इन आलेखों में सत्यता छुपी है जो असरदार भी है और जनता जर्नादन की समझ में आने वाली भी। बहुत ही सरल भाषा शैली में लेखक ने अपने भाव प्रकट किये हैं अपनी जानकारी लोगों के सामने साझा की है जो सहज ही मस्तिष्क में प्रहार करती प्रतीत होती है... झकझौरने वाली है... कुछ सोचने पर मजबूर कर देने वाली है। राजनैतिक, धार्मिक, आर्थिक व नौकरशाही तंत्रों में कोई भी सामाजिक- अवतार नहीं होता जो सामाजिक-अवतार जैसे दिखते हैं वे सभी किसी न प्रकार से व किसी न किसी स्तर पर प्रायोजित ही होते हैं। सामाजिक-अवतार तो आम समाज से अंकुरित व पुष्पित होते हैं और इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आप भी इससे सहमत होंगे। इस पुस्तक की सफलता की कामना करते हुए मैं लेखक के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ और विश्वास दिलाता हूँ कि यह आलेख संग्रह समाज को अवश्य ही दिशा देने में काम आयेगा। ...चैतन्य भट्ट / पूर्व संपादक दैनिक नवभारत
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 978-93-91765-75-0 |
Number of Pages | 96 |
Publication Year | 2023 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-93-91765-75-0 |
Binding | Paperback |
© Copyrights 2013-2025. All Rights Reserved Uttkarsh Prakashan
Designed By: Uttkarsh Prakashan