Uttkarsh Prakashan

Mohan Rakesh Ke Upanyaso Ka Shilp Soundarya


Mohan Rakesh Ke Upanyaso Ka Shilp Soundarya

Mohan Rakesh Ke Upanyaso Ka Shilp Soundarya(Paperback)

Author : Dr. Sneha Lata
Publisher : Uttkarsh Prakashan

Length : 144Page
Language : Hindi

List Price: Rs. 250

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आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने आधुनिक काल को गद्य काल की संज्ञा से अभिहित किया है। पद्य लेखन की अपेक्षा गद्य लेखन अधिक व्यापक भाव बोध की अपेक्षा रखता है। इसीलिए वो ‘गद्यं कविनां निकशं’ कहा जाता है। गद्य में उपन्यास की उपादेयता इस युग में अधिक प्रतिष्ठित होती जा रही है। मोहन राकेश जी को एक सफल नाटकार के रूप में जाना पहचाना जाता है। ‘आषाढ़ का एक दिन’ उनकी विश्वप्रसिद्ध नाट्य रचना है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मोहन राकेश जी एक सफल उपन्यासकार भी हैं। इनके उपन्यासों में सजीवता और मार्मिकता जीवन्त रूप में परिलक्षित होती है। इनके पात्र वायवीय न होकर भूचर हैं। अपने उपन्यासों के कथ्य को इन्होंने अनूठे रूप में अभिव्यक्त किया है। प्रस्तुत पुस्तक में मोहन राकेश जी के उपन्यासों के गद्य सौष्ठव पर विचार किया गया है। शिल्प सौन्दर्य की द्रष्टि से मोहन राकेशजी के उपन्यासों की उपादेयता असंम्भव है। इनके उपन्यासों के कथानक का विधान अति सटीक एव सुगढ़ है। पात्रों के चरित्रांकन में इन्होंने बड़ी सूझ-बूझ का परिचय दिया है। पात्र वायवीय या आलौकिक न होकर जीते-जागते धरती पर विचरण करने वाले सामान्य मानव हैं। संवाद बड़े ही सटीक एवं नुकीले-चुटीले सारगर्भित हैं। इन्होंने वातावरण का सृजन उपन्यास की कथावस्तु के अनुरूप किया है। उपन्यासों की भाषा-शैली सहज, सरल एवं सारगर्भित है। भाषा सर्वथा भावानुकूल है। मोहन राकेश जी के उपन्यासों का उद्देश्य उदात्त एवं महान है। मैं उन सभी सुधिजनों का हार्दिक साधुवाद करना चाहती हूँ जिनकी मैंने इस कार्य में परोक्ष-अपरोक्ष रूप में सहायता ली है। मैं डाॅ0 रामनारायण शर्मा प्रवक्ता हिन्दी का हार्दिक धन्यवाद करना चाहूँगी जिन्होंने प्रस्तुत पुस्तक के लेखन में मुझे न केवल प्रेरित किया बल्कि समय-समय पर उपयोगी सुझाव भी दिये। डा. राजकुमार गर्ग एसो0 प्रोफेसर विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय चरखी दादरी की शुक्रगुजार हूँ , जिन्होंने मुझे लेखन कार्य में प्रवृत किया। मैं अपने जीवन साथी श्री संजीव मन्दोला का धन्यवाद कर उनके गुरुभार को हल्का नहीं करना चाहती। मैं आज जो हूँ उन्हीं के कारण हूँ। -डा. स्नेहलता

Specifications of Mohan Rakesh Ke Upanyaso Ka Shilp Soundarya (Paperback)

BOOK DETAILS

PublisherUttkarsh Prakashan
ISBN-109789384236748
Number of Pages144
Publication Year2013
LanguageHindi
ISBN-139789384236748
BindingPaperback

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