Author : Ishaq Tabib
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 144Page
Language : Hindi
List Price: Rs. 200
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”काव्य प्रकाश“ (आचार्य मम्मट), ”साहित्यालोचन“ (श्याम सुन्दर दास), ”आलोचक की आस्था“ (डा.नगेन्द्र) के गहन अनुशीलन से मन में समीक्षा का अंकुर जन्म ले चुका था। वही अंकुर अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति-लब्ध कविवर्य डा0 ब्रजेन्द्र अवस्थी एवं राष्ट्रीय गीतकार डा0 उर्मिलेश की प्रेरणा से पुष्पित और पल्लवित हुआ। गुरुदेव डा0 अवस्थी एवं डा0 उर्मिलेश के काव्य ग्रन्थों की समीक्षा जब प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं, उनका प्रसारण आकाशवाणी रामपुर से होने लगा तो हृदय में आत्म-विश्वास जाग्रत हुआ। ”परती पलार मंच“ (अररिया, बिहार) ने ”अमर कथा-शिल्पी: फणीश्वरनाथ रेणु“ समीक्षात्मक आलेख को प्रथम पुरस्कार से अभिषिक्त किया तो विश्वास का दीपक प्रखर ज्योति से जलने लगा। माता वीणा-वादिनी की अनुकम्पा से अनेक समीक्षात्मक आलेख देश की लब्द्द- प्रतिष्ठ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित एवं प्रसारित हुए, जिनसे गद्य-लेखन में मेरी सहज प्रवृत्ति निरन्तर मुखरित होती रही। ”प्रखर शब्द-शिल्पी“ ग्रन्थ मेरे निकटस्थ मित्र, बाल-साहित्य के शिरोमणि कवि डाॅ0 इसहाक़ ‘तबीब’ की सत्प्रेरणाओं का प्रतिफल है। यह उनका असीमित स्नेह है कि उन्होंने मेरी अस्त-व्यस्त फाइलों में से स्वयं 27 समीक्षात्मक आलेखों का चयन करके उन्हें ग्रन्थ रूप में प्रकाशित करने की प्रेरणा दी; केवल प्रेरणा ही नहीं दी, उनके टंकण एवं सम्पादन का गुरुतर भार स्वयं वहन किया। इस पवित्र अनुष्ठान में भक्ति एवं शृंगार के श्रेष्ठ कवि महेश मित्र, यशस्वी कवि एवं कथाकार डा0 सुधाकर आशावादी, विदुषी कवयित्री डा0 कमला माहेश्वरी, मुझ पर सुधा रस की वृष्टि करने वाले परम मित्र डा0 अशोक कुमार मिश्र (शामली), ओज के शिखर कुलदीप अंगार, वरिष्ठ समाज-सेवी अशोक खुराना, बदायूँ क्लब के सचिव डा0 अक्षत अशेष, ओज-कवि कामेश पाठक एवं मेरे सहृदय मित्रों ने अपनी पावन प्रेरणाओं से मेरा पथ प्रशस्त किया, जिसके लिए मैं हृदय से उपर्युक्त सभी काव्य-मनीषियों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। मेरे समीक्षात्मक आलेख आचार्यश्रेष्ठ, पूर्व कुलपति डा0 विशुद्धानन्द मिश्र एवं गुरु-प्रवर डा0 ब्रजेन्द्र अवस्थी की चरण-रज से अभिषिक्त होकर निःसृत हुए हैं, अतः उनमें प्रशस्ति एवं प्रणाम की सुवासित गंध है, कटु आलोचना का प्रयास नहीं है। यदि वरेण्य विद्वज्जन एवं कविर्मनीषी अपनी नीर-क्षीर विवेकी दृष्टि से इस ग्रन्थ का अनुशीलन करके मुझे आशीर्वादात्मक पत्र लिखेंगे तो मेरा पथ प्रशस्त होगा। पग-पग पर प्रेरणा का अखण्ड दीप जलाने वाली मेरी विदुषी धर्मपत्नी श्रीमती विजय माथुर, मेरे चिरंजीवी पुत्र-द्वय अमिताभ एवं प्रीताभ, स्नेह-पालिता पुत्रवधू-द्वय गीता एवं रागिनी की मधुर प्रेरणाएँ मेरा पथ आलोकित एवं सुवासित करती है। मेरे षट् पौत्र-पौत्री के अधरों का विमल हास एवं उनकी मधुर किलकारियाँ मेरे हृदय का स्पन्दन हैं। तैबा कम्प्यूटर्स, बदायूँ के स्वामी सै0 तारिक़ अली ने ग्रन्थ के शब्द-संयोजन में अथक परिश्रम किया है, जिसके लिए मैं हृदय से कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। डा0 राम बहादुर ‘व्यथित’ (कवि, कथाकार एवं समीक्षक)
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-423666-7 |
Number of Pages | 144 |
Publication Year | 2015 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-9-38-423666-3 |
Binding | Paperback |
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