Author : Devesh Mishra
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 112Page
Language : Hindi
साहित्यकार को युगदृष्टा कहना अतिश्योक्ति न होगा । लेखनी जीवनानुभूतियों की अभिव्यक्ति है और साहित्य समाज का दर्पण । साहित्य में मनुष्य को प्रभावित करने की अद्भुत शक्ति होती है। सही मायने में एक लेखक सच्चा समाज सुधारक होता है जो अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को दिशा देता है । समाज का भला करता है । नवोदित उपन्यासकार देवेश मिश्रा ने इस उपन्यास के माध्यम से समाज को दिशा देने का प्रयास किया है जो सराहनीय है । एक छात्र होने के बावजूद उपन्यास लिखना बड़ी बात है जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। जिस प्रकार से लेखक ने एक व्यक्ति के माध्यम से समाज को सीख देने की कोशिश की है वह प्रशंसनीय है । उपन्यास का विषय थोड़ा अलग हटकर है जो इसकी खूबी बना है । पटकथा रोचकता लिए है । इस उपन्यास में अनुभूतियों की गहराई विद्यमान है जो जीवन मूल्यों के धरण के प्रति भी है । देवेश मिश्रा का यह पहला उपन्यास पाठकों की कसोटी पर खरा उतरेगा।
BOOK DETAILS
Publisher | Uttkarsh Prakashan |
ISBN-10 | 9-38-423688-8 |
Number of Pages | 112 |
Publication Year | 2015 |
Language | Hindi |
ISBN-13 | 978-9-38-423688-5 |
Binding | Paperback |
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